Текст обрезается, когда я пишу на хинди (Unicode), тогда как английский работает хорошо.
Хорошо работал с версией 0.49.2
React Native Версия: 0.59.8
Реагировать Информация о родной среде:
- Система:
- ОС: Windows 10
- Процессор: (4) x64 Intel (R) Core (TM) i5-7200U Процессор @ 2,50 ГГц
- Память: 916,05 МБ / 3,78 ГБ
- Бинарные:
- npm: 6.7.0 - C: \ Program Files \ nodejs \ npm.CMD
Иды:
Ссылка на выпуск Github
https://github.com/facebook/react-native/issues/25155
render() {
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text:"ज. गु. श्री रामान्दाचार्य जी",
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},
{
text:"Google LLC[5] is an American multinational technology company that specializes in Internet-related services and products, which include online advertising technologies, search engine, cloud computing, software, and hardware. It is considered one of the Big Four technology companies, alongside Amazon, Apple and Facebook.Google LLC[5] is an American multinational technology company that specializes in Internet-related services and products, which include online advertising technologies, search engine, cloud computing, software, and hardware. It is considered one of the Big Four technology companies, alongside Amazon, Apple and Facebook.",
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},
{
text:"रामान्दाचार्य जी द्वारा बनाये गये लगभग तीस हजार शिष्यों में से निम्नलिखित बारह शिष्य प्रधान माने जाते हैं। इन प्रधान शिष्यों को महाभागवत कहा गया है। सांप्रदायिक मान्यतानुसार इन्हें विविध देवताओं तथा ऋषियों-मुनियों के अवतार माना गया है। श्री अनंतानंदाचार्य जी आपश्री के सर्वप्रथम शिष्य बने फिर श्री पीपा जी, श्री रविदास जी, श्री कबीरदास जी आदि ने आपश्री का शिष्यत्व प्राप्त किया। ये सभी शिष्य परमज्ञानी और सेवानिष्ठ भक्त थे और विद्या, शक्ति तथा मर्यादा का अनुसरण करते हुए श्रद्धापूर्वक सुयोग्य रूप से गुरु सेवा करते रहते थे। इन्हीं महाभागवतों के गुरु भाइयों, शिष्यों-प्रशिष्यों ने आपश्री का संदेश भारत के कोने-कोने तक पहुचाया।",
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text:"रामान्दाचार्य जी द्वारा बनाये गये लगभग तीस हजार शिष्यों में से निम्नलिखित बारह शिष्य प्रधान माने जाते हैं। इन प्रधान शिष्यों को महाभागवत कहा गया है। सांप्रदायिक मान्यतानुसार इन्हें विविध देवताओं तथा ऋषियों-मुनियों के अवतार माना गया है। श्री अनंतानंदाचार्य जी आपश्री के सर्वप्रथम शिष्य बने फिर श्री पीपा जी, श्री रविदास जी, श्री कबीरदास जी आदि ने आपश्री का शिष्यत्व प्राप्त किया।",
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